मरहूम अब्बू का आशीर्वाद प्राप्त कर फिर पार्टी को जोड़ने में जुटीं महबूबा

सुरेश एस डुग्गर
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020 (18:57 IST)
जम्मू। यह सच है कि पूर्व फायरब्रांड मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की 14 महीनों की नजरबंदी के दौरान उनकी पार्टी के कई साथी उनको तथा पार्टी को छोड़कर चले गए थे। अब पार्टी को मजबूत करने तथा खोए हुए राज्य के दर्जे के साथ ही विशेषाधिकार को पाने की मुहिम के लिए महबूबा पार्टी को एकजुट करने की मुहिम में जुट गई हैं। इस मुहिम की शुरुआत उन्होंने अब्बाजान स्व. मुफ्ती मुहम्मद सईद से आशीर्वाद प्राप्त कर की है।
 
महबूबा ने गुरुवार को दक्षिण कश्मीर के बीजबेहाड़ा में स्थित अपने पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद की कब्र पर जाकर उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ भी की। बीजबेहाड़ा पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का पैतृक कस्बा है।
 
महबूबा मुफ्ती को 5 अगस्त 2019 की तड़के प्रदेश प्रशासन ने एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया था। उन्हें करीब 434 दिन बाद मंगलवार की रात को ही रिहा किया गया है। इससे पहले बुधवार सुबह महबूबा ने गुपकार मार्ग पर स्थित सरकारी निवास पर पीडीपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। इसमें एक साल के राजनीतिक घटनाक्रम और कश्मीर के हालात पर विचार विमर्श हुआ।
 
यह सच है कि पिछले साल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के ज्यादातर वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी और उसके बाद इसके भविष्य को लेकर प्रश्नचिह्न लगाए जाने लगे थे। लेकिन पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की मंगलवार रात रिहाई के बाद उनके आवास पर कार्यकर्ताओं की भीड़ से नई उम्मीदें दिखने लगी हैं।
 
महबूबा को 14 महीनों के बाद रिहा किया गया है। बुधवार को महबूबा के आधिकारिक निवास फेयरव्यू बंगला पर कार्यकर्ताओं का तांता लगा रहा। अपनी नेता से मिलने की उम्मीद में आए कार्यकर्ताओं में वृद्ध भी शामिल थे।
ALSO READ: क्या है गुपकार और क्या इसका कोई 'गुप्त' एजेंडा है?
महबूबा के प्रशंसक उन्हें 'आयरन लेडी ऑफ कश्मीर' कह रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष ने मिलने वाले कार्यकर्ताओं को यह संदेश दिया कि वह संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। पीडीपी पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर राज्य की पहली और आखिरी महिला मुख्यमंत्री महबूबा की छवि को बेहतर बनाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रही हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उनकी मुलाकातों के वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की जा रही हैं।
 
अपनी नेता से मिलने आए कार्यकर्ताओं में दक्षिण कश्मीर के नूर मोहम्मद भी शामिल थे जो बुढ़ापे के कारण मुश्किल से खड़े हो पा रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं सुबह छह बजे घर से निकला ताकि अपनी बहन और नेता महबूबा जी से मिलने के बाद ही लौटूं। उनके पिता (दिवंगत मुफ्ती मुहम्मद सईद) धन्य थे, वह भी ऐसी ही हैं। महबूबा के घर के बाहर का दृश्य पिछले साल के ठीक विपरीत था जब एक के बाद एक नेता पीडीपी को छोड़ रहे थे।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख