सावन और शिव जी का क्या कनेक्शन है? सोमवार ही क्यों है भोलेनाथ को प्रिय?

WD Feature Desk
शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 (18:01 IST)
Connection Between Sawan Somvar And Lord Shiva: भारतीय संस्कृति में जब भी बात आती है भक्ति और उत्सव की, तो सावन का महीना सबसे विशेष माना जाता है। यह सिर्फ मौसम का बदलाव भर नहीं, बल्कि श्रद्धा, आस्था और ईश्वर से गहरा संबंध जोड़ने वाला समय होता है। हर वर्ष जब मानसून की पहली बारिश धरती को भिगोती है, तो लोगों के मन में भगवान शिव की उपासना की उमंग जाग उठती है। विशेषकर सावन सोमवार के दिन मंदिरों में लंबी कतारें, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और भोलेनाथ के भजनों की गूंज एक दिव्य वातावरण रच देती है। लेकिन सवाल यह है कि सावन और शिव जी का इतना गहरा कनेक्शन आखिर है क्या? और क्यों सोमवार ही भोलेनाथ को सबसे प्रिय दिन माना जाता है? आइए जानते हैं इस गहराई से जुड़े पौराणिक, धार्मिक और भावनात्मक पहलुओं को।
 
सावन का महीना और शिव तत्व का मिलन
सावन, जिसे 'श्रावण मास' भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग का पांचवां महीना होता है। यह वही समय होता है जब प्रकृति अपने सबसे सुंदर रूप में होती है, हरियाली, ठंडी हवाएं, झरनों की आवाज और चारों ओर जल का संचार। यह मास देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त करने का समय माना जाता है, और उसमें भी भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है।
 
पौराणिक मान्यता के अनुसार, यही वह समय था जब समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने संहारक रूप में अपने कंठ में धारण किया था। जिससे वे 'नीलकंठ' कहलाए। विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने उन्हें गंगा जल अर्पित किया, और तभी से शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई, जो आज तक सावन में विशेष रूप से निभाई जाती है।
 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सती ने संकल्प लिया था कि वे अगले जन्म में भी भगवान शिव को ही अपने जीवनसाथी के रूप में प्राप्त करेंगी। अपने इस दृढ़ निश्चय के चलते उन्होंने राजा दक्ष के अपमानजनक व्यवहार से आहत होकर अपने प्राण त्याग दिए। इसके बाद वे हिमालयराज की पुत्री के रूप में पार्वती के रूप में जन्मीं। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए सावन मास में घोर तपस्या की थी। उनकी इस भक्ति और कठोर साधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसी कारण माना जाता है कि शिवजी को सावन का महीना अत्यंत प्रिय है, क्योंकि यही वह समय था जब उनकी अर्धांगिनी ने उन्हें पाने के लिए तप किया था।
 
एक अन्य मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, वहीं चतुर्दशी के दिन भगवान शिव भी विश्राम अवस्था में प्रवेश करते हैं। इस विशेष दिन को 'श्यनोत्सव' के नाम से जाना जाता है। इस समय भगवान शिव अपने रौद्र रूप में होते हैं, जिसे रुद्रावतार कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव रुद्र स्वरूप में होते हैं, तो वे अत्यंत शीघ्र प्रसन्न हो सकते हैं, लेकिन साथ ही वे आसानी से क्रोधित भी हो जाते हैं। इसी कारण सावन के महीने में विशेष रूप से शिवजी का रुद्राभिषेक किया जाता है, ताकि उन्हें प्रसन्न किया जा सके और उनका आशीर्वाद प्राप्त हो। यह पूजा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और जीवन में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य लाने में सहायक मानी जाती है।
 
सोमवार ही भोलेनाथ का सबसे प्रिय दिन क्यों?
हिंदू धर्म में सप्ताह के सातों दिनों का संबंध किसी न किसी देवता से जोड़ा गया है। सोमवार (सोम = चंद्र) का संबंध चंद्रदेव से है, और चंद्रमा स्वयं शिव जी के मस्तक पर विराजमान हैं। यही कारण है कि सोमवार शिव जी का विशेष दिन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं में वर्णन है कि जो भी व्यक्ति सोमवार को व्रत रखकर शिव की आराधना करता है, उसकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है।
 
सावन महीने के हर सोमवार को ‘श्रावण सोमवर व्रत’ कहा जाता है। यह व्रत खासतौर पर कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए, और विवाहित स्त्रियां अपने वैवाहिक जीवन की सुख-शांति के लिए रखती हैं। पुरुष भी इस दिन शिव पूजन कर स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।
 

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