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नरेश कुमार शाद के क़तआत
बुधवार, 18 जून 2008
दोस्ती के भरम ने मार दिया, दुश्मनों से तो बच गए लेकिन दोस्तों के 'करम' ने मार दिया...
नज़्म : शायर-ए-आज़म, दिलावर फ़िगार
शनिवार, 14 जून 2008
कल इक अदीब-ओ-शायर-ओ-नाक़िद मिले हमें, कहने लगे कि आओ ज़रा बहस ही करें
ग़ज़ल इन इंग्लिश
शनिवार, 14 जून 2008
दि नेशन टाक्स इन उर्दू, दि पीपुल फ़ाइट इन उर्दू डियर रीडर देट इज़ व्हाइ, आइ राइट इन उर्दू
नज़्म : शायर अख्तर शीरानी
शुक्रवार, 6 जून 2008
'आह! वो रातें, वो रातें याद आती हैं मुझे' आह, ओ सलमा! वो रातें याद आती हैं मुझे
नज्म : मज़ाहिया और तंज़िया क़तआत
नाम पूछा जो एक शायर से हंस के बोले कि बूअली पुख है मैंने पूछा कि पुख से क्या मतलब मुस्क
नज़्में : प्रो. सादिक़
मंगलवार, 6 मई 2008
मोहब्बत जहाँ तुम को नफ़रत ही नफ़रत नज़र आए
मजाज़ की नज्म आवारा
मंगलवार, 6 मई 2008
ऎ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऎ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
कबूतर (भाग-1) : कौसर सिद्दीक़ी
कबूतर (भाग 2) : कौसर सिद्दीक़ी
परिन्दे की फ़रयाद : इक़बाल
सारे जहाँ से अच्छा : इक़बाल
चाँद तारों का बन : मख़दूम
रुबाईयाँ : फ़िराक गोरखपुरी
गुरुवार, 1 मई 2008
लहरों में खिला कंवल नहाए जैसे दोशीज़: ए सुबह गुनगुनाए जैसे
सलासी : अज़ीज़ अंसारी
गुरुवार, 1 मई 2008
मालिक ए दो जहान है मौला मुझ पे भी इक नज़र करम की हो
नज्म : अहमद कलीम फैजपुरी
गुरुवार, 17 अप्रैल 2008
मेरी निगाह इतनी मोतबर कहाँ थी? कि देखता मैं तुझको तेरे अंदर
रुबाईयाँ : फ़िराक़ गोरखपुरी
सोमवार, 14 अप्रैल 2008
लहरों में खिला कंवल नहाए जैसे , दोशीज़: ए सुबह गुनगुनाए जैसे , ये रूप, ये लोच, ये तरन्नुम, ये निखार
नज्म : सय्यद सुबहान अंजुम
बुधवार, 9 अप्रैल 2008
एक लम्हे के लिए तेरा खयाल चाँद तारों से मिला देता है
याद : जिगर मुरादाबादी