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मजमून
'दर्द मिन्नत कशे-दवा न हुआ'
ग़ालिब की ग़ज़ल और अशआर के मतलब (6)
ग़ालिब की ग़ज़ल (शे'रों के मतलब के साथ)
दुनिया में आसान से आसान काम भी मुश्किल होता है। जिसका सुबूत ये है कि आदमी वैसे तो इंसान ही है लेकिन ...
ग़ालिब की ग़ज़ल : हर शे'र के मतलब के साथ
इस दुनिया में वफ़ा एक बेमाअनी लफ़्ज़ है। वफ़ा के नक़्श से ज़माने में किसी को तसल्ली न हुई। वफ़ा एक ऎसा लफ़्ज़...
ग़ालिब के मशहूर अशआर और उनका मतलब (2)
इश्क़ किसी रंग में भी सामने आए साज़-ओ-सामान की उसको कोई परवाह नहीं होगी। यहाँ तक के मजनूँ की जो तस्वीर...
ग़ालिब के अशआर और उनके माअनी
ख़ुदा की बनाई हुई हर चीज़ फ़ना होने वाली है। हर चीज़, हर तस्वीर का लिबास काग़ज़ का है जो कभी भी जल सकता है...
दिनेश चंचल की ग़ज़लों की पहली किताब 'इज़हार'
हमारे भी हैं मेहरबाँ कैसे-कैसे
अतीक़ अहमद अतीक़
उर्दू की तरक़्क़ी में ग़ैर-मुसलिमों का हिस्सा
आह! साग़र ख़य्यामी
या तो दीवाना हँसे या तू जिसे तौफ़ीक़ दे वरना इस दुनिया में रेह कर मुस्कुरा सकता है कौन साग़र ख़्य्यामी ...
तबसिरा
मख़मूर सईदी'
सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते-जाते
बेशक ग़ज़ल, शायरी की सबसे मकबूल सिन्फ़ (विधा) से है। लेकिन इसकी मकबूलियत में चार चाँद लगाए हैं कुछ श...
मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी और जनाब रेहबर जोनपुरी
मीर तक़ी मीर
शाद अज़ीमाबादी
ग़ालिब के ख़त
अनीस अंसारी : अच्छा इंसान और सच्चा अदीब-ओ-शायर
अकबर इलाहाबादी---शायर भी, सिपाही भी
शनिवार, 28 जून 2008
हर शायर अपने हालात से मुतास्सिर होकर जब अपनी सोच और अपनी फ़िक्र को अल्फ़ाज़ का जामा पहनाता है तो वो तमा...
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