हमले के सबूत पेश करना आर्मी का काम नहीं : विद्युत जामवाल

हमले के सबूत पेश करना आर्मी का काम नहीं : विद्युत जामवाल
रूना आशीष
"मैं जब छोटे शहरों में जाता हूँ तो मुझसे लोग पूछते हैं कि हीरो कैसे बनते हैं? मैं कहता हूँ कि सबसे पहले ये भूल जाइए कि आप बहुत गुड लुकिंग हैं। फिल्म इंडस्ट्री में बाहर से आए लोगों के लिए बहुत मुश्किल है। मुझे लगता है कि अगर आपने सोच लिया कि कुछ करना दिखाना है तो आप कर जाते हैं वो काम। मैं उन सभी लोगों को कहता हूँ कि आप वो करो जो किसी के पास ना हो। आपमें कोई ऐसी बात होनी चाहिए जो किसी में ना हो। फिर आपको कोई नहीं रोक सकता।"
 
विद्युत जामवाल की इस सप्ताह फिल्म 'जंगली' रिलीज हुई है। अपनी फिल्म के प्रमोशन के दौरान उन्होंने बताया "मैं जब तीन साल का था तब से मैं मार्शल आर्ट्स कर रहा हूँ। कल्लरी पयट्टू भी करता हूँ। हाल ही में मुझे दुनिया के तीन सबसे बेहतरीन मार्शल आर्ट्स करने वाले  आर्टिस्ट की तरह नवाज़ा गया, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में से किसी ने भी मुझे सोशल नेटवर्क पर बधाई नहीं दी सिर्फ शत्रुघ्नजी ने बधाई दी। इसका मुझे बुरा नहीं लगा। मुझे लगता है कि मैं सही राह पर ही हूँ। 
 
'जंगली' फिल्म के एक्शन सीक्वेंस में कोई दिक्कत पेश आई? 
नहीं। मैं मार्शल आर्टिस्ट हूँ, ना तो किसी तो परेशान करता हूँ और ना ही किसी को परेशान होने देता हूँ। इसमें एक्शन सीक्वेंस मैंने डायरेक्ट किए हैं और किसी भी प्रकार का वीएफएक्स नहीं किया गया है। वैसे भी मेरे घर में दो पेट डॉग हैं। लोग पता नहीं क्यों इन जानवरों को देख कर कहते हैं कि इन्हें बाँध दो,  लेकिन डॉग या कैट तो आपको कुछ कर नहीं रही है। जब आप उन्हें डराओगे या नुकसान पहुँचाओगे तो ही वो रिएक्ट करेंगे। वैसे ही मेरी शूट में मैंने ध्यान रखा है कि इन जानवरों को मुझसे डर ना लगे। मेरे हाथी का नाम भोला था, मैं जब भी उसे भोला बोलता तो वह हिलाने लगता जैसे मुझे सुनना चाहता हो। वैसे भी हाथियों की याददाश्त बहुत तेज़ होती है। 
 
आपके एक्शन स्टाइल को देखते हुए की लोग इनसिक्योर हो जाते होंगे? 
अगर आपमें वो बात है या आग है तो आपको आगे बढ़ने से कोई रोक ही नहीं सकता है। कोई आपको नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता। वैसे भी डर या इनसिक्योरिटीज़ दिमाग में होती है। मैं एक आर्मी वाले का बेटा हूँ जो फ़िल्म करने आया है। पिता बचपन से सिखाते रहे हैं कि जिस कमरे से बाहर आओ उसका लाइट बंद कर दिया करो। हम आर्मी वालों का भी बिजली का कोटा होता है। पिता की हर महीने तनख़्वाह आती थी। आज मैं उनसे कहीं ज्यादा काम लेता हूँ, लेकिन आज भी कमरे से बाहर आते वक्त मैं बत्ती बुझा देता हूँ। 
 
आप फौजी परिवार से हैं। आपको कैसा लगा जब आर्मी से पुलवामा की जवाबी कार्रवाई में सबूत माँगे गए थे? 
मेरे मामा 1971 के युद्ध में शहीद हुए थे उस समय मेरी मामीजी तीन महीने से प्रेगनेंट थीं। मेरे चाचा भी भारतीय आर्मी की सेवा करते करते शहीद हुए हैं। मैं बहुत कुछ को नहीं जानता, लेकिन ये सब सुनी हुई बातें हैं। अब ज़रा सोचिए कि आर्मी ने बता दिया कि उनके पास कितनी मिसाइलें हैं जो उन्होंने किसी देश जैसे कि मान लीजिए रूस से खरीदी है और कहा कि 16 खरीदी हैं। ये बात दुश्मन देश भी जान जाएगा और जब वो आप पर हमला करेगा तो ज़ाहिर है कि वो 18-19 मिसाइलों से करेगा ताकि आप इतने हमले के लिए तैयार ना हों। ये काम आर्मी का बिल्कुल नहीं कि वो किसी भी तरह के हमले का कोई भी सबूत पेश करे। 

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