मजेदार बाल कविता: धुक्कम-पुक्कम रेल

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
रेल चली भई रेल चली,
धुक्कम-पुक्कम रेल चली।
 
टीना, मीना, चुन्नू, मुन्नू,
डिब्बे बनकर आएं।
मोहन कक्कू इंजिन बनकर,
सीटी तेज बजाएं।
डीजल से फुल टैंक कराएं,
इंजन न हो फेल, चली।
 
गार्ड बनेंगे झल्लू भाई,
हरी लाल ले झंडी।
छुक-छुक-छुक रेल चलेगी,
पटना, कटक, भिवंडी।
पैसिंजर बन कहीं चलेगी,
कहीं-कहीं बन मेल चली।
 
स्टेशन-स्टेशन रुककर,
लेगी ढेर मुसाफिर।
कई मुसाफिर उतर जाएंगे,
जाएंगे अपने घर।
चाय नाश्ता करती जाती,
करते-करते खेल चली।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

मिलिंद सोमन की मां 85 साल की उम्र में कैसे रखती हैं खुद को इतना फिट, जानिए उनके फिटनेस सीक्रेट

फिर से फैल रहा है कोरोना, रखें ये 6 सावधानियां

ये हेल्दी फैट्स हार्ट को रखते हैं दुरुस्त, कोलेस्ट्रॉल भी रहता है कंट्रोल

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम और महत्व

05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस, जानें पर्यावरण संरक्षण पर 20 प्रेरणादायक और प्रभावी स्लोगन

अगला लेख