जीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है चांडाल दोष, जानिए कैसे?

पं. प्रणयन एम. पाठक
* कुंडली में चांडाल दोष क्या होता है, जानिए... 
 
जब किसी जातक की कुंडली में चांडाल दोष का निर्माण होता है तो जातक का निर्णय या उसके द्वारा किया गया कार्य दुष्प्रभावित होता है। वह जातक व्यर्थ के कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी लगा सकता है।
 
कई बार देखा गया है कि ऐसा जातक निर्णय लेने में बहुत जल्दबाजी करता है और हानि उठाता है। यह दोष राहु-केतु के साथी ग्रहों के कारण बनता है जिसमें सोमादित्य चांडाल योग के कारण जातक की मानसिक स्थिति कमजोर होती है और उसे विश्वास हो जाता है कि उसके साथ किसी ने तंत्र-मंत्र का प्रयोग किया है।
 

ऐसे जातकों को शारीरिक कष्ट भी बना रहता है। जीव चांडाल दोष एक प्रकार का ब्रह्मदोष होता है। चांडाल दोष ब्राह्मण के श्राप का परिचायक होता है। शनि चांडाल दोष जातक को अचानक पतन के मार्ग पर ले जाता है।
 
अंगारक चांडाल योग के कारण जातक को जमीन-जायदाद के कारण कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। सूर्य आत्मकारक ग्रह होकर जब चांडाल दोष में आता है, तब उस जातक पर मरे हुए लोगों की छाया का प्रभाव होता है। भ्रगु चांडाल में फंसा जातक किसी स्त्री के कारण हानि उठाता है।
 

ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि सूक्ष्म अध्ययन करने पर इस योग के सैकड़ों प्रकार सामने आते हैं। चांडाल दोष अर्थात धर्म का बंधा होना। पूर्व जन्म का ब्रह्म ऋण होना, जो कि ग्रह स्थिति के कारण प्रत्येक जातक के लिए अलग-अलग होता है। इसकी शांति काली शाबर द्वारा, ब्रह्म सेवा द्वारा या ब्राह्मण ऋण चुकाने द्वारा संभव है।
 

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